लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण
गामक खेत, नदी आ ओ आमक फूलवारी
खेतक कदवा, गँजार आ कुमरौरी, अदौरीकेँ तरकारी
मरुवाकेँ रोटी आ मारा माछक चहटगर चटनी
रौद कोन पानि कोन सभमे गीत गाबि कए खटनी
फूलवारी महँक मचान, ताहिपर तासक विश्व कपकेँ घमासान
महन्थ थानपर गप्प सरक्काकेँ लागल ओ साँझ भोरक दोकान
गाछ, वृक्ष, पोखरि, झाँखरि आइ सभ मोन पडैत अछि
नै जानी किए शहरमे रहितो नजरि ओहने बात तकैत अछि
© कुन्दन कुमार कर्ण
खेतक कदवा, गँजार आ कुमरौरी, अदौरीकेँ तरकारी
मरुवाकेँ रोटी आ मारा माछक चहटगर चटनी
रौद कोन पानि कोन सभमे गीत गाबि कए खटनी
फूलवारी महँक मचान, ताहिपर तासक विश्व कपकेँ घमासान
महन्थ थानपर गप्प सरक्काकेँ लागल ओ साँझ भोरक दोकान
गाछ, वृक्ष, पोखरि, झाँखरि आइ सभ मोन पडैत अछि
नै जानी किए शहरमे रहितो नजरि ओहने बात तकैत अछि
© कुन्दन कुमार कर्ण
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें