लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण
प्रस्तुत अछि लोकप्रिय पत्रिका मैथिली सिने संसारक अगहन–पुष अंकमे प्रकाशित हमर पूरा अन्तरवार्ता
सप्तरी जिल्लाक एक साधारण परिवारमे जन्मल गजलकार कून्दन कुमार कर्ण कम समयमे बेसी चर्चित भेनिहार युवा गजलकार छी । कनिये टासँ मैथिली साहित्यमे कमल चला रहल कुन्दन अत्यन्त प्रतिभाशाली व्यक्ति छथि । श्री जनता माध्यमिक विद्यालय, खुरहुरीयासँ विद्यालय शिक्षा आर्जन कऽ श्री महेन्दविन्देश्वरी बहुमुखी क्याम्पस, राजविराजसँ ब्यवस्थापनमे स्नातक केनिहार ई नेपाल सरकारक निजामती सेवामे सेहो कार्यरत छथि ।
विद्यालय जीवन कालसँ गजल रचना सुरु कऽ एखन धरि दर्जनौ गजल रचना कऽ चूकल अछि । हुनकर गजल आ शाइरीसँ मिथिलाक हजारौ युवा प्रभावित छथि । पछिला किछु बरिससँ सामाजिक सञ्जालमे बेसी सकृयताक संग अपन रचना सभ सार्वजनिक करैत आबि रहल हुनकर नेपाल आ भारत दुन्नू देशेमे प्रशंसक सभ छथि । मुदा हनुका एतऽ धरि आबैमे की ? केहन ? कतेक ? संघर्ष करऽ पडलै एहि सम्बन्धमे सुनी “मैथिली सिने संसार”क प्रतिनिधि कमल मण्डल संग भेल हुनकर गप्प सप्प ।
▶ अहाँ गजल रचनाक क्षेत्रमे कोना प्रवेश केलहुँ ?
– कनिये टासँ साहित्य, गीत आ संगीतमे हमर रुची रहि आयल अछि । स्कूल पढैत काल हम अतिरिक्त कृयाकलामे बेसी सहभागी हएत रहिये । विद्यालय जीवनसँ हमर रचना सभ विभिन्न रुपे पत्र–पत्रिकामे प्रकाशित हएत रहै । दर्जनौ पत्र–पत्रिकामे हमर रचना सभ प्रकाशित भऽ चूकल अछि । गजल आ शेर–ओ–शाइरी हम कनिये टासँ पसन्द करै छी । स्कूल आ कलेजक समयमे मैथिलीमे गजल रचना कऽ हम संगी सभकेँ सुनाबैत रही । सभ हमर प्रशंसा करेैत रहै । हमरा प्रोत्साहन करैत रहै । मुदा जहियासँ हम फेसबुक आ ट्वीटर लगायत सामाजिक सञ्जाल मार्फत अपन रचना सार्वजनिक केनाइ सुरु केलहुँ तहियासँ हमर साहित्यिक बाटमे नवका मोड आबि गेल । हम अपन रचना सभ बेसीसँ बेसी लोक धरि पहुँचाबमे सफल भेलहुँ । ढेर रास साहित्यकार सभसँ जुटबाक अवसर सेहो प्राप्त केलहुँ । एहि क्रममे फेसबुक पर हमर भेंट प्रसिद्ध मैथिली गजलकार आशीष अनचिन्हा जीसँ भेलै । ओ हमरा हुनकेँ द्वारा सञ्चालित हुनक ब्लग http://anchinharakharkolkata.blogspot.com सँ जोडलनि । जे कि पूर्ण रुपेन मैथिली गजलसँ सम्बन्धित लेख, आलेखसँ भरल छै । तकर बाद हम गजलक विषयममे गहन अध्ययन केनाइ सुरु कऽ देलहुँ आ पहिल बेर निअमपूर्वक अरबी बहरमे गजल रचना करबामे सफल भेलहुँ । फलस्वरुप आशीष जी द्वारा जानकारी भेटल जे हम मैथिलीमे अरबी बहरमे गजल कहनिहार नेपालक पहिल गजलकार छी । जैसँ हमरा एहि क्षेत्रमे समर्पित भऽ लगबाक लेल आर प्रेरणा प्राप्त भेल ।
▶ “अरबी बहर” की छी ?
– गजल मुख्तः अरबी शब्द छी आ एकर जननी सेहो अरबी साहित्य छी । जेना संस्कृत काव्ज्य परम्परामे “छन्द” हए छै तहिना उर्दू आ फारसी गजल परम्परामे “बहर” हए छै । जेना छन्द कविताक लय निर्धारण करै छै तहिना बहर गजलक लय निर्धारण करै छै । सामान्य भाषामे हम सभ बहरकेँ छन्द बुझि सकै छी मुदा बहर निर्माणक अपने पृथक निअम सभ छै । गजल प्राय कोनो नै कोनो बहरमे कहल जाइ छै । बिना बहरकेँ गजल भै भऽ सकैछ । गजल गीत आ कवितासँ एक अलगे विधा रहलाक कारण अरबी बहरमे गजल रचना करऽ चाहै वला सभकेँ समय खरचा कऽ अध्ययन केनाइ जरुरी छै ।
▶ गजल रचनाक क्षेत्रमा प्रवेश करऽ लेल प्रेरणा किनकासँ प्राप्त भेल ?
– हम महाकवि विद्यापति रचित गीत सभ सुनबालेल बहुत पसन्द करै छी । हुनकासँ प्रभावित सेहो छी । मुदा खास कऽ गजल क्षेत्रमे लगबाक कारण केओ एक व्यक्ति प्रेरक नै छथि । हमर अन्तर आत्मासँ जागल रुची आ मैथिली भाषा एवं संस्कृति प्रतिक प्रेम नै एहि क्षेत्रमे लगबाक प्रमुख कारण छी । एखन हम बहुत लोकसँ ढेर रास सहयोग, शुभकामना आ सिनेह पाबि रहल छी जैसँ हमर मनोबल वृद्धि भऽ रहल छै ।
▶ की अहाँ मैथिलीकेँ अलाबा आन भाषा दिस सेहो कलम चला रहल छी ?
– हम अंग्रेजी, हिन्दी आ नेपालीमे सेहो गजल सभ रचना केने छी ।
▶ वर्तमान समयमे विभिन्न विधाक मैथिली पोथी सभ निरन्तर प्रकाशित भऽ रहल छै मुदा एकर उचित बजारीकरण भेल अवस्था नै छै । अर्थात् मैथिली साहित्य व्यावसायीकरण नै भऽ पाबि रहल छै । की एहन अवस्थामे आब आबै पीढी मैथिली साहित्मे अपन योगदान दऽ सकत ?
– धन्यवाद । बहुत नीक सन्दर्भ उठेलहुँ अहाँ । सभसँ पहिने त छिरीयाल मैथिली गजलकार, साहित्यकार आ कलाकार सभकेँ एक ठाम संगठित भेनाइ जरुरी छै । मिथिलामे एखनो बहुत रास लोक सभ नीक जकाँ मैथिली पढ आ लीख लेल नै जानै छै । एकर मुख्य कारण छी विद्यालय शिक्षा मैथिलीमे प्राप्त नै भेनाइ । मैथिली भाषा आ साहित्यमे गति प्रदान करबा लेल मिथिलामे अनिवार्य रुपमे विद्यालय शिक्षा मैथिलीमे प्रदान केनाइ जरुरी छै । नेपालमे एखन संविधान बनबाकेँ क्रममे अछि । तेँ आब बनै वला संविधानमे विद्यालय शिक्षा मातृभाषामे करबाक प्रावधान लेल हम सभकेँ अपन–अपन क्षेत्रसँ अवाज उठाब पडतै । खुशीक बात त ई छी जे वर्तमान समयमे मिथिलाक बहुत रास युवा युवती सभ मैथिली साहित्य, गीत, संगीत आ कलाक क्षेत्रमे सकृय रुपसँ लागि रहल अछि ।
▶ हम अहाँ द्वारा हमल गजल सभ सुनलहुँ । किछु प्रमे आ वियोगक गजल सभ बहुत मार्मिक अछि । की एहन गजल सभमे रहल ब्यथा सभ अहाँकेँ वास्तविक जिनगीसँ सम्बन्धित त नै अछि ।
– हम हजल, वाल गजल आ भक्ति गजल सेहो रचना केने छी । तहिना राजनीति, दर्शन तथा विभिन्न सामाजिक जीवनसँ जूडल विषय पर सेहो रचना केने छी । समय सन्दर्भ देखिक श्रोता सभकेँ केहन रचना पसन्द आबि सकै छै तै हिसाबे रचऽके प्रयास करै छी । जैमे हमर कल्पना शक्तिक महत्वपस्र्ण भूमिका खेलै छै । अतः हमर कहल गजल सभकेँ हमर वास्तविक जिनगीसँ कोनो सम्बन्ध नै छै ।
▶ एखन बजारमे पाप, ¥याप आ आइटम गीत सभ धूम मचा रहल छै । लोक सभ एकरे पसन्द सेहो कऽ रहल छै । एहन अवस्थामामे गजलक औचित्य की ?
– संसार कतबो बदलतै मुदा सूर्य, पृथ्वी आ चान कहियो नै बदलि सकै छै । तै सूर्यक ठाम पृथ्वी लऽ सकै छै नै त पृथ्वीक ठाम चान । बजारमे बहुत चीज सभ आबै छै आ जाइ छै मुदा किछु चीज लोकक हिया आ दिमागमे सदति लेल बसि जाइ छैक । गजल लोकक भावना आ आत्मासँ जूटल रहै छै । संसार रहला धरि एकर औचित्य कहियो समाप्त नै भऽ सकै छै । हमर कहल गजल सभ एखनो हजारौ लोक सभ पसन्त कऽ रहल छै ।
▶ भविष्यक योजना की अछि ?
– गजल रचनाक निरन्तरता दैत विभिन्न विषयवस्तु पर रचना कऽ मैथिली पाठक सभको मनोरञ्जन प्रदान केनाइ आ जिनगी भरि मैथिली आ मिथिलाक सेवा केनाइ ।
▶ वर्तमान युवा पीढी अर्थात नव प्रतिभाक की कहऽ चाहबै ?
– कहल जाइ छै लोक जतऽ जन्मे छै तै ठामक माटिक ऋण ओकरा पर रहै छै । तै अपन भाषा, संस्कृति, कला आ साहित्सँ प्रेम करु । प्रबर्धन करु । युवा अवस्था एहन अवस्था छी जे लोकक भविष्य निर्धारणक आधार तय करै छै । एहि अवस्थाक सदूपयोग करु । मिथिलाक युवा युवती सभ मेहनी हए छै । प्रतिभा सम्पन्न हए छै । ई बात सारा संसार जानै छै । तेँ मैथिली आ मिथिलाक लेल महान् कार्य करि अपन प्रतिभाक देखाउ ।
▶ अहाँ एक युवा गजलकार छी । एहि उमेरमे बहुत प्रशंसक कमा चूकल छी । मुदा एखन धरि सिङ्गल छी । अहाँकेँ डबल भेल कहिया देख सकै छी ?
– हा हा हा हा ....... ई प्रशन त हमरा संसारक सभसँ खतरनाक प्रशन बुझाइत अछि । एखन सोचने नै छी । सही समय एलापर डबल हेबै ।
▶ तपाई अपन प्रशंक सभकेँ “मैथिली सिने संसार” मार्फत की कहऽ चाहबै ?
– सर्वप्रथम त हुनका सभकेँ हम हार्दिक धन्यवाद देब चाहब । हुनका सभक सिनेहक कारणे हम गजल रचनाक क्षेत्रमे निरन्तर आगू बढि रहल छी । खास कऽ मैथिल युवा युवती सभकेँ “मैथिली सिने संसारक” माध्यमसँ कहब चाहब जे एखन बहुत संख्यामे अहाँ सभ मैथिली गजल गजल, शेर–ओ–शायरी आ साहित्यिक क्षेत्रमे कलम चला रहल छी । ई खुशीक बात छी । मुदा अहाँ सभ कोनो क्षेत्रमे लागैसँ पहिने तैसँ सम्बन्धित विस्तृत ज्ञान हाँसिल केलाक बाद लागी । एहिसँ अहाँके यात्रा सहज भेलाक संगे अपन लक्ष्य धरि असानसँ पहुँच सकै छी । जेना साहित्य लोककेँ सभ्य बनाबै छै तहिना गजल लोककेँ गुनवाण बनाबै छै । जँ अहाँ सभमेसँ केओ मैथिली गजल क्षेत्रमे सकृयताक संग आबऽ चाहै छी त हम अपन दिससँ जे कऽ सकब से सहयोग करऽ लेल सदिखन तयार छी ।
▶ अपन प्रशंकहरु सभक लेल कोनो सम्पर्क नं. या
– अवश्य । वहाँहरुले मलाई मेरो यो ई–मेल आईडी मार्फत सम्पर्क गर्न सक्नुहुन्छ E-mail : kundankumarkarna145@gmail.com
धन्यवाद !
सप्तरी जिल्लाक एक साधारण परिवारमे जन्मल गजलकार कून्दन कुमार कर्ण कम समयमे बेसी चर्चित भेनिहार युवा गजलकार छी । कनिये टासँ मैथिली साहित्यमे कमल चला रहल कुन्दन अत्यन्त प्रतिभाशाली व्यक्ति छथि । श्री जनता माध्यमिक विद्यालय, खुरहुरीयासँ विद्यालय शिक्षा आर्जन कऽ श्री महेन्दविन्देश्वरी बहुमुखी क्याम्पस, राजविराजसँ ब्यवस्थापनमे स्नातक केनिहार ई नेपाल सरकारक निजामती सेवामे सेहो कार्यरत छथि ।
विद्यालय जीवन कालसँ गजल रचना सुरु कऽ एखन धरि दर्जनौ गजल रचना कऽ चूकल अछि । हुनकर गजल आ शाइरीसँ मिथिलाक हजारौ युवा प्रभावित छथि । पछिला किछु बरिससँ सामाजिक सञ्जालमे बेसी सकृयताक संग अपन रचना सभ सार्वजनिक करैत आबि रहल हुनकर नेपाल आ भारत दुन्नू देशेमे प्रशंसक सभ छथि । मुदा हनुका एतऽ धरि आबैमे की ? केहन ? कतेक ? संघर्ष करऽ पडलै एहि सम्बन्धमे सुनी “मैथिली सिने संसार”क प्रतिनिधि कमल मण्डल संग भेल हुनकर गप्प सप्प ।
▶ अहाँ गजल रचनाक क्षेत्रमे कोना प्रवेश केलहुँ ?
– कनिये टासँ साहित्य, गीत आ संगीतमे हमर रुची रहि आयल अछि । स्कूल पढैत काल हम अतिरिक्त कृयाकलामे बेसी सहभागी हएत रहिये । विद्यालय जीवनसँ हमर रचना सभ विभिन्न रुपे पत्र–पत्रिकामे प्रकाशित हएत रहै । दर्जनौ पत्र–पत्रिकामे हमर रचना सभ प्रकाशित भऽ चूकल अछि । गजल आ शेर–ओ–शाइरी हम कनिये टासँ पसन्द करै छी । स्कूल आ कलेजक समयमे मैथिलीमे गजल रचना कऽ हम संगी सभकेँ सुनाबैत रही । सभ हमर प्रशंसा करेैत रहै । हमरा प्रोत्साहन करैत रहै । मुदा जहियासँ हम फेसबुक आ ट्वीटर लगायत सामाजिक सञ्जाल मार्फत अपन रचना सार्वजनिक केनाइ सुरु केलहुँ तहियासँ हमर साहित्यिक बाटमे नवका मोड आबि गेल । हम अपन रचना सभ बेसीसँ बेसी लोक धरि पहुँचाबमे सफल भेलहुँ । ढेर रास साहित्यकार सभसँ जुटबाक अवसर सेहो प्राप्त केलहुँ । एहि क्रममे फेसबुक पर हमर भेंट प्रसिद्ध मैथिली गजलकार आशीष अनचिन्हा जीसँ भेलै । ओ हमरा हुनकेँ द्वारा सञ्चालित हुनक ब्लग http://anchinharakharkolkata.blogspot.com सँ जोडलनि । जे कि पूर्ण रुपेन मैथिली गजलसँ सम्बन्धित लेख, आलेखसँ भरल छै । तकर बाद हम गजलक विषयममे गहन अध्ययन केनाइ सुरु कऽ देलहुँ आ पहिल बेर निअमपूर्वक अरबी बहरमे गजल रचना करबामे सफल भेलहुँ । फलस्वरुप आशीष जी द्वारा जानकारी भेटल जे हम मैथिलीमे अरबी बहरमे गजल कहनिहार नेपालक पहिल गजलकार छी । जैसँ हमरा एहि क्षेत्रमे समर्पित भऽ लगबाक लेल आर प्रेरणा प्राप्त भेल ।
▶ “अरबी बहर” की छी ?
– गजल मुख्तः अरबी शब्द छी आ एकर जननी सेहो अरबी साहित्य छी । जेना संस्कृत काव्ज्य परम्परामे “छन्द” हए छै तहिना उर्दू आ फारसी गजल परम्परामे “बहर” हए छै । जेना छन्द कविताक लय निर्धारण करै छै तहिना बहर गजलक लय निर्धारण करै छै । सामान्य भाषामे हम सभ बहरकेँ छन्द बुझि सकै छी मुदा बहर निर्माणक अपने पृथक निअम सभ छै । गजल प्राय कोनो नै कोनो बहरमे कहल जाइ छै । बिना बहरकेँ गजल भै भऽ सकैछ । गजल गीत आ कवितासँ एक अलगे विधा रहलाक कारण अरबी बहरमे गजल रचना करऽ चाहै वला सभकेँ समय खरचा कऽ अध्ययन केनाइ जरुरी छै ।
▶ गजल रचनाक क्षेत्रमा प्रवेश करऽ लेल प्रेरणा किनकासँ प्राप्त भेल ?
– हम महाकवि विद्यापति रचित गीत सभ सुनबालेल बहुत पसन्द करै छी । हुनकासँ प्रभावित सेहो छी । मुदा खास कऽ गजल क्षेत्रमे लगबाक कारण केओ एक व्यक्ति प्रेरक नै छथि । हमर अन्तर आत्मासँ जागल रुची आ मैथिली भाषा एवं संस्कृति प्रतिक प्रेम नै एहि क्षेत्रमे लगबाक प्रमुख कारण छी । एखन हम बहुत लोकसँ ढेर रास सहयोग, शुभकामना आ सिनेह पाबि रहल छी जैसँ हमर मनोबल वृद्धि भऽ रहल छै ।
▶ की अहाँ मैथिलीकेँ अलाबा आन भाषा दिस सेहो कलम चला रहल छी ?
– हम अंग्रेजी, हिन्दी आ नेपालीमे सेहो गजल सभ रचना केने छी ।
▶ वर्तमान समयमे विभिन्न विधाक मैथिली पोथी सभ निरन्तर प्रकाशित भऽ रहल छै मुदा एकर उचित बजारीकरण भेल अवस्था नै छै । अर्थात् मैथिली साहित्य व्यावसायीकरण नै भऽ पाबि रहल छै । की एहन अवस्थामे आब आबै पीढी मैथिली साहित्मे अपन योगदान दऽ सकत ?
– धन्यवाद । बहुत नीक सन्दर्भ उठेलहुँ अहाँ । सभसँ पहिने त छिरीयाल मैथिली गजलकार, साहित्यकार आ कलाकार सभकेँ एक ठाम संगठित भेनाइ जरुरी छै । मिथिलामे एखनो बहुत रास लोक सभ नीक जकाँ मैथिली पढ आ लीख लेल नै जानै छै । एकर मुख्य कारण छी विद्यालय शिक्षा मैथिलीमे प्राप्त नै भेनाइ । मैथिली भाषा आ साहित्यमे गति प्रदान करबा लेल मिथिलामे अनिवार्य रुपमे विद्यालय शिक्षा मैथिलीमे प्रदान केनाइ जरुरी छै । नेपालमे एखन संविधान बनबाकेँ क्रममे अछि । तेँ आब बनै वला संविधानमे विद्यालय शिक्षा मातृभाषामे करबाक प्रावधान लेल हम सभकेँ अपन–अपन क्षेत्रसँ अवाज उठाब पडतै । खुशीक बात त ई छी जे वर्तमान समयमे मिथिलाक बहुत रास युवा युवती सभ मैथिली साहित्य, गीत, संगीत आ कलाक क्षेत्रमे सकृय रुपसँ लागि रहल अछि ।
▶ हम अहाँ द्वारा हमल गजल सभ सुनलहुँ । किछु प्रमे आ वियोगक गजल सभ बहुत मार्मिक अछि । की एहन गजल सभमे रहल ब्यथा सभ अहाँकेँ वास्तविक जिनगीसँ सम्बन्धित त नै अछि ।
– हम हजल, वाल गजल आ भक्ति गजल सेहो रचना केने छी । तहिना राजनीति, दर्शन तथा विभिन्न सामाजिक जीवनसँ जूडल विषय पर सेहो रचना केने छी । समय सन्दर्भ देखिक श्रोता सभकेँ केहन रचना पसन्द आबि सकै छै तै हिसाबे रचऽके प्रयास करै छी । जैमे हमर कल्पना शक्तिक महत्वपस्र्ण भूमिका खेलै छै । अतः हमर कहल गजल सभकेँ हमर वास्तविक जिनगीसँ कोनो सम्बन्ध नै छै ।
▶ एखन बजारमे पाप, ¥याप आ आइटम गीत सभ धूम मचा रहल छै । लोक सभ एकरे पसन्द सेहो कऽ रहल छै । एहन अवस्थामामे गजलक औचित्य की ?
– संसार कतबो बदलतै मुदा सूर्य, पृथ्वी आ चान कहियो नै बदलि सकै छै । तै सूर्यक ठाम पृथ्वी लऽ सकै छै नै त पृथ्वीक ठाम चान । बजारमे बहुत चीज सभ आबै छै आ जाइ छै मुदा किछु चीज लोकक हिया आ दिमागमे सदति लेल बसि जाइ छैक । गजल लोकक भावना आ आत्मासँ जूटल रहै छै । संसार रहला धरि एकर औचित्य कहियो समाप्त नै भऽ सकै छै । हमर कहल गजल सभ एखनो हजारौ लोक सभ पसन्त कऽ रहल छै ।
▶ भविष्यक योजना की अछि ?
– गजल रचनाक निरन्तरता दैत विभिन्न विषयवस्तु पर रचना कऽ मैथिली पाठक सभको मनोरञ्जन प्रदान केनाइ आ जिनगी भरि मैथिली आ मिथिलाक सेवा केनाइ ।
▶ वर्तमान युवा पीढी अर्थात नव प्रतिभाक की कहऽ चाहबै ?
– कहल जाइ छै लोक जतऽ जन्मे छै तै ठामक माटिक ऋण ओकरा पर रहै छै । तै अपन भाषा, संस्कृति, कला आ साहित्सँ प्रेम करु । प्रबर्धन करु । युवा अवस्था एहन अवस्था छी जे लोकक भविष्य निर्धारणक आधार तय करै छै । एहि अवस्थाक सदूपयोग करु । मिथिलाक युवा युवती सभ मेहनी हए छै । प्रतिभा सम्पन्न हए छै । ई बात सारा संसार जानै छै । तेँ मैथिली आ मिथिलाक लेल महान् कार्य करि अपन प्रतिभाक देखाउ ।
▶ अहाँ एक युवा गजलकार छी । एहि उमेरमे बहुत प्रशंसक कमा चूकल छी । मुदा एखन धरि सिङ्गल छी । अहाँकेँ डबल भेल कहिया देख सकै छी ?
– हा हा हा हा ....... ई प्रशन त हमरा संसारक सभसँ खतरनाक प्रशन बुझाइत अछि । एखन सोचने नै छी । सही समय एलापर डबल हेबै ।
▶ तपाई अपन प्रशंक सभकेँ “मैथिली सिने संसार” मार्फत की कहऽ चाहबै ?
– सर्वप्रथम त हुनका सभकेँ हम हार्दिक धन्यवाद देब चाहब । हुनका सभक सिनेहक कारणे हम गजल रचनाक क्षेत्रमे निरन्तर आगू बढि रहल छी । खास कऽ मैथिल युवा युवती सभकेँ “मैथिली सिने संसारक” माध्यमसँ कहब चाहब जे एखन बहुत संख्यामे अहाँ सभ मैथिली गजल गजल, शेर–ओ–शायरी आ साहित्यिक क्षेत्रमे कलम चला रहल छी । ई खुशीक बात छी । मुदा अहाँ सभ कोनो क्षेत्रमे लागैसँ पहिने तैसँ सम्बन्धित विस्तृत ज्ञान हाँसिल केलाक बाद लागी । एहिसँ अहाँके यात्रा सहज भेलाक संगे अपन लक्ष्य धरि असानसँ पहुँच सकै छी । जेना साहित्य लोककेँ सभ्य बनाबै छै तहिना गजल लोककेँ गुनवाण बनाबै छै । जँ अहाँ सभमेसँ केओ मैथिली गजल क्षेत्रमे सकृयताक संग आबऽ चाहै छी त हम अपन दिससँ जे कऽ सकब से सहयोग करऽ लेल सदिखन तयार छी ।
▶ अपन प्रशंकहरु सभक लेल कोनो सम्पर्क नं. या
– अवश्य । वहाँहरुले मलाई मेरो यो ई–मेल आईडी मार्फत सम्पर्क गर्न सक्नुहुन्छ E-mail : kundankumarkarna145@gmail.com
धन्यवाद !
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें