लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण
बेलायती वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विनक विकासवादी सिद्वान्त अनुसार पृथ्वी पर रहल सम्पूर्ण जीवित प्राणी जियबाक लेल संघर्ष करैत रहै छै आ जे संघर्षमे सफल भ' जाइ छै सएह जियबै छै । मुदा, जखन प्रकृति आ राज्य दुन्नू कोनो समुदायके विपरीत भ' जाइ तँ ओहन परिस्थितिमे लाख संघर्ष केलाक बादो ओहि समुदायके दृष्टिकोणसँ डार्विनक सिद्धान्त गलत साबित भ' सकैए ।
मिथिला/मधेशक लोक राजनीति आ प्रकृति दुन्नूक चपेटमे छै । बाढि मिथिला/मधेशक निअति बनि गेल छै । प्रत्येक बरिस लोक एहिसँ पीडित आ आक्रान्त होइ छै । कोनो पांच दश बरिससँ नै । सैकड़ौ बरिससँ । बाढि आबि लोकवेद, धनमाल, पोखरि क' मांछ, घर, अनाज सब देहाक ल' जाइ छै । राष्ट्रिय, अन्तराष्ट्रिय मिडियामे खूब चर्चा होइ छै । ढेर रास संघ संस्थाद्वारा राहत संकलन होइ छै ।
मिथिला/मधेशक लोक राजनीति आ प्रकृति दुन्नूक चपेटमे छै । बाढि मिथिला/मधेशक निअति बनि गेल छै । प्रत्येक बरिस लोक एहिसँ पीडित आ आक्रान्त होइ छै । कोनो पांच दश बरिससँ नै । सैकड़ौ बरिससँ । बाढि आबि लोकवेद, धनमाल, पोखरि क' मांछ, घर, अनाज सब देहाक ल' जाइ छै । राष्ट्रिय, अन्तराष्ट्रिय मिडियामे खूब चर्चा होइ छै । ढेर रास संघ संस्थाद्वारा राहत संकलन होइ छै ।
बंटाइ छै । सरकारद्वारा अनुदानक घोषणा कएल जाइ छै । बस किछु महिनाबाद सब बिसरि जाइ छै । अगिला बरिस फेर वएह रवैया । आखिर कहिया धरि ई चक्र चलैत रहतै ? एकर दीर्घकालीन निपटाराक उपाय की ?
सामान्य रुपसँ सोचल जाइ तँ बाढि प्राकृतिक विपतिके रुपमे नजरि आएत मुदा नेपालक सन्दर्भमे जँ गहिरगर अध्ययन करबै तँ एहिमे नितान्त राजनीतिक रंग भेटत । ऐतिहासिक छल भेटत । राजा महेन्द्रद्वरा पुनर्वास कार्यक्रमक नाम पर तरार्इ क्षेत्रक वन दोहन करैत लाखौ पहाडीके बस्ती तरार्इमे बसेनाइ (एखनो जारी छै), चूरे क्षेत्रसँ अवैध रुपसँ बाउल आ गिट्टीक निकाशी भेनाइ, रक्तचन्दन, सिसौ, खयर लगायत अन्तराष्ट्रिय बजारमे महगमे बिकैवला गाछी सभ तस्करी भेनाइ, सरकारी सन्यन्त्रमे एके टा समुदायके हालीमुहानी भेनाइ, विकास प्रशासनमे रहल भ्रष्टाचार, राष्ट्रिय योजना आयोगक लापरबाही, मौसम विभागके काजक पुराने तरिका, राज्यक उपनिवेशवादी सोच (राज्यद्वारा पहाडभे आएल भू-कम्प राष्ट्रिय संकट आ मधेशमे आएल बाढिक क्षेत्रीय संकटके रुपमे चित्रण केनाइ) आदी कारण सब भेटत ।
विश्वमे नेपाल एहन देश छै जतए राजनीति केनाइ सभसँ असान छै । कोनो समस्या भेलै तँ भारतके दोषी देखाक अहाँ अपन माथ परसँ बोझ उतारि सकै छी । अपन असक्षमता झांपि सकै छी । अपन अकर्मण्यताके तोपि सकै छी । बस बात खत्तम । एखन बाढी सनके विपतिमे सेहो तेहने देखल जा रहल छै ।
मौसमके पूर्वानुमानमे आधुनिक प्रविधिक प्रयोग क' र्इन्टरनेट लगायत सञ्चारक विभिन्न माध्यमसँ विपतिके पूर्व सूचनाक प्रसारण, पछिला अनुभवके आधार पर पूर्व तयारी आ नदी सभक प्रकृतिक सम्बन्धमे एक उच्चस्तरीय अध्ययन क' नेपाल आ भारतक दुन्नू सरकारक प्रभावकारी समन्वयसँ बाढिसँ होइवला जनधनके क्षती कम कएल जा सकै छै ।
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