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गजल: लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु

लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण

एक अशआर

जदी छौ मोन भेटबाक डेग उठा चलि या हियामे चोट आ बदनमे आगि लगा चलि या छियै हम ठाढ़ एहि पार सात समुन्दरकें हियामे प्रेम छौ त आइ पानि सुखा चलि या Kundan Kumar Karna

भूमिका एक, फाँक अनेक: कथित गजल संग्रह 'आबि रहल एक हाहि'कें आलोचना

1 लूरि किछुओ सीख ले नहि सदति अंदाज कर ( शाइर-बाबा बैद्यनाथ, मात्राक्रम-2122-212 ) रचनाकारक तौरपर हम ई मानै छी जे कोनो रचना नीक-खराप भऽ सकैए मुदा एकटा विचारक केर तौरपर हम ईहो मानै छी जे खराप रचनाकेँ येन-केन-प्रकारेण "नीक" साबित करबाक उद्योग अंततः रचनाकारक पतनक पहिल सीढ़ी बनैए आ साहित्यक पतन केर सेहो । आशीष अनचिन्हार 2 कथित गजल संग्रह (जे बिना बहर-काफिया केर हो) आब हमरा प्राप्त नै होइए। बहुत रास प्रकाशकीय-लेखकीय निर्देश अनचिन्हारक नामपर देल गेल छै से हमरा बुझाइए (एकर अपवाद सेहो छै) आ तँइ  Kamal Mohan Chunnu कमल मोहन चुन्नू जीक कथित गजल संग्रह "आबि रहल एक हाहि" केर भूमिका फोटो रूपमे प्राप्त करबाक जोगाड़ हमरा करए पड़ल। एहि ठाम रचनाकार खुश भऽ सकै छथि जे हम एतेक प्रतापी जे हमरा `कियो "इग्नोर" नै कऽ सकल मुदा हुनका शायद ई पता हेतनि जे एहि पाँतिक लेखक केकरो इग्नोर करिते नै छै । कहियो-कहियो आलस आबि जाइए तँ वरिष्ठ सभ कहि दै छथि जे जाहि विधामे छी ताहि विधाक मामूलियो बातकेँ नोटिस लेबाक चाही आ तकर बाद फेर मोन बनि जाइत छै आ तकरे परिणाम अछि ई आलेख (सीधा बात जे ओ सभ हमरा ...

गजलः आइ बदरीमे नजरि एलै तस्वीर तोहर

आइ बदरीमे नजरि एलै तस्वीर तोहर चानकें सेहो अखड़ि गेलै तस्वीर तोहर तोरे दर्शन लेल पृथ्वीपर परि आबि गेलै इन्द्रलोकोमे असरि भेलै तस्वीर तोहर चेहरा ककरो मिलल नै तोरा चेहरा सन तइयो दुनियाँ भरि नजरि एलै तस्वीर तोहर शंका हेतै शुद्धतापर केओ केने शाइद बीच गंगामे उतरि हेलै तस्वीर तोहर बरखा ठनका ठण्डी गर्मी गगनोमे की–की नै चोट मौसमकें कुहरि झेलै तस्वीर तोहर ऽ।ऽऽ     ऽ।ऽऽ     ऽऽऽ।     ऽऽ © कुन्दन कुमार कर्ण Maithili Ghazal

कौन सी रचना गजल हैं, कौन सी नहीं ? (हिन्दी अनुवाद)

गजल सम्बन्धी नेपाली भाषामे "कुन रचना गजल हो, कुन होइन ?" शीर्षकमे जुलाई, २०२० मे नेपालक राष्ट्रिस्तरकें न्यूजपोर्टल सभमे प्रकाशित भऽ चूकल आलेखक नई उम्मीद मैगजिनमे प्रकाशित हिन्दी अनुवाद- गजलः नव उम्मीदमे प्रकाशित आलेखक हिन्दी अनुवाद - पहिल पृष्ठ गजलः नव उम्मीदमे प्रकाशित आलेखक हिन्दी अनुवाद - दोसर पृष्ठ गजलः नव उम्मीदमे प्रकाशित आलेखक हिन्दी अनुवाद - तेसर पृष्ठ

प्रदेश-2 में फिर उपजा भाषा विवाद (हिन्दी अनुवाद)

केंद्र में सरकार बदलने से प्रदेश 2 भी अछूता नहीं रहा। परिणामस्वरूप, एक मंत्री और एक राज्य मंत्री के साथ नेकपा माओवादी (केंद्र) भी सरकार में शामिल हो गयी। माओवादी केंद्र की ओर से भरत साह ने आंतरिक मामला और संचार मंत्री के रूप में शपथ ली और रूबी कर्ण ने उसी मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इससे पहले दोनों मंत्रियों ने अपनी मातृभाषा मैथिली में शपथ लेने का स्टैंड लिया था। पद की शपथ लेने के तुरंत बाद उन्होंने अफसोस जताया कि कानून में कमी के कारण वे अपनी मातृभाषा मैथिली में शपथ नहीं ले सके और कहा कि शपथ की भाषा पर असहमति के कारण शपथ ग्रहण समारोह में देरी हुई। लेकिन शपथ लेने के तुरंत बाद उन्होंने मातृभाषा में शपथ लेने पर अध्यादेश लाने की प्रतिबद्धता भी जताई। दोपहर तीन बजे दोनों मंत्रियों का शपथ ग्रहण होना था। लेकिन भाषा विवाद के चलते यह कार्यक्रम दोपहर 4 बजे शुरू हो सका। इनलोगों ने मैथिली भाषा में लिखा एक प्रतीकात्मक शपथ पत्र भी प्रदेश 2 के प्रमुख राजेश झा को सौंपा था। मातृभाषा मैथिली के प्रति प्रेम और स्नेह को लेकर प्रदेश 2 में चर्चा में आए मंत्री साह ने एक सप्ताह पहले एक कार्यक्...

सूर्योदय अघि नै सूर्यास्त: मैथिली गजल संग्रह 'सूर्यास्तसँ पहिने'को आलोचना

'सूर्यास्तसँ पहिने'(सूर्यास्त भन्दा पहिले) यो नाम हो डा.राजेन्द्र विमल जीको गजल संग्रहको । यो संग्रहको भूमिकाको अन्तिम भागमा विमल जी लेख्नु हुन्छ "यो मैथिली भाषाको पहिलो यस्तो गजल संग्रह हो जसमा १००(एक सय) गजल प्रस्तुत गरिएको छ ।" जबकी, मैले जाने सम्म सन् १९८५ मा प्रकाशित गजल संग्रह 'लेखनी एक रंग अनेक' जुन कि रवीन्द्रनाथ ठाकुरको हो जसमा कुल १०९(एक सय नौ) वटा गजल संगसंगै कता समेत समावेश गरिएको छ । तब विमल जीको यो 'पहिलो' जस्तो घोषणाको अर्थ के? यो हुन सक्छ की विमल जी यसलाई नेपालीय मैथिलीको सन्दर्भमा लेख्नु भएको होला तब त यो झनै गडबड........। कारण विमल जीको यो गजल संग्रहमा कुल ४(चार) वटा गजल दोहोरिएको छ ।  गजल संग्रहको कभर पेज अर्थात्, शुद्ध रूपले हेर्दा यो गजल संग्रहमा कुल ९६ वटा गजल रहेको छ । मलाई विमल जी जस्तो साहित्यकार संग यस्तो आशा थिएन की वहाँ पहिलो हुनकै लागि यस्तो कार्य गर्नु हुन्छ । इतिहासलाई आफ्नो फाइदाका लागि गलत साबित गर्नु हुन्छ । अब नेपालका विद्वान समीक्षकहरूले भन्नु हुन्छ कि के कुरा छ । मेरो टिप्पणी मात्र इतिहास शुद्धताको लागि छ । गजल संख्...

संविधानले दिएको अधिकार उपयोग गर्न नसकेको प्रदेश सरकार

केन्द्रमा सरकार परिवर्तनको असर प्रदेश नं.२ मा पनि पर्यो फलस्वरूप एउटा मन्त्री र एउटा राज्यमन्त्री सहित नेकपा माओवादी (केन्द्र) पनि सरकारमा सहभागी भयो । माओवादी केन्द्रको तर्फबाट आन्तरिक मामिला तथा सञ्चार मन्त्रीको रूपमा भरत साह र सोही मन्त्रालयका राज्यमन्त्रीका रूपमा रूवी कर्णले शपथ लिए । यस अघि मन्त्रीद्वयले मातृभाषा मैथिलीमा शपथ लिने अडान लिएका थिए । मन्त्रीको शपथ लिए लगतै उनीहरूले मन्तव्य राख्दै कानून अभावको कारणले मातृभाषा मैथिलीमा शपथ ग्रहण गर्न नपाएकोमा दुःख व्यक्त गरे र शपथको भाषाको विषयमा कुरा नमिलेका कारण शपथ ग्रहण समारोह ढिलो गरी शुरु भएको बताए । शपथ ग्रहण लगत्तै उनले मातृभाषामा शपथ लिने सम्बन्धी अध्यादेश ल्याउने प्रतिबद्धता समेत व्यक्त गरे । मन्त्रीद्वयले मातृभाषा मैथिलीमा शपथ लिने र शपथ ग्रहण पत्र मैथिलीमै हुनुपर्ने भनी भाषा विवादकै कारण दिउँसो ३ बजेका लागि तय भएको शपथ ग्रहण ४ बजेपछि मात्र शुरु भएको थियो । उनीहरूले प्रदेश नं.२ का प्रदेश प्रमुख राजेश झालाई मैथिली भाषामा लेखिएको प्रतिकात्मक शपथ-पत्र समेत बुझाएका थिए । मातृभाषा मैथिलीप्रतिको प्रेम र लगाव देखाएर प्रदेश नं.२...

दोहा

मैथिली दोहा १. बारह बरिस स्कूल पढ़ल, सात बरिस काॅलेज । आदमी  सन  लक्षण  नै,  बढलै  की  नाॅलेज ।। २. पद  खातिर  पावनि  करै, पैसा खातिर पाप । केहन  गणतन्त्र  एलै,  जनता  करै  विलाप ।। ३. धन  पाछू  मरै सब जन, धनकें नै छै अन्त । बिनु धन जे धनीक लगै, तकरे नाओ सन्त ।। © कुन्दन कुमार कर्ण

परिपक्व होइत मैथिली गजल: समीक्षा

ई कहब से कोनो अतिशयोक्ति नहिं जे 'मैथिली गजल' किछु साल पूर्व टिकुले रहए आइ बेस कोशा बनि तैयार भ ऽ  रहल छैक फल देबा लेल, तहियो में जँ सहजता पूर्वक मैथिलीक अपन गजलशाश्त्र भेटि जाए अन्चिनहार आखरक रूपमे तखन गजल लेल बेसी मेहनति क ऽ  खगते नहिं रहि जाइत छैक ।  अन्चिनहार आखरक रूपमे ई एकटा एहेन गजलशाश्त्र भेटल अछि जे मैथिली गजलकेँ अरबी, फारसी ओ उर्दू गजलक समकक्ष पहुँचेबामे समर्थ सिद्ध भ ऽ  रहल अछि। मैथिली गजलक एकटा सुप्र सिद्ध नाम जे भारत सँ ल ऽ  क ऽ  नेपाल धरि अपन गजलसँ श्रोताक माँझ एकटा भिन्न छाप छोड़निहार गजलकार श्री 'कुन्दन कुमार कर्ण' जी केँ किछु गजल- kundangajal.com केर माध्यम सँ आ किछु हुनक फेसबुकक भीतसँ पढ़बाक मौका भेटैत रहैत अछि जे हमरा लेल सौभाग्यक गप्प छै ।  हुनक किछु गजल पर हम अपन विचार राखि रहल छी । 12 मई 2020 क ऽ  एकटा बाल गजल जे शाइरक अपन वेवसाईटपर प्रेशित कएल गेल छन्हिं जे निम्नलिखित अछिः हमर सुन्नर गाम छै  फरल ओत' आम छै  विपतिमे संसार यौ  प्रकृति जेना बाम छै  निकलि बाहर जाउ नै  बिमारी सभ ठाम छै  सफा आ स्वस्थ्य...

गजल सम्बन्धी प्राय: पूछल जाइवला प्रश्न आ तकर उत्तर (FAQ)

गजल की छै ? बहरमे कहल किछु शेर छै । बहर की छै ? पाँतिक एक समान मात्राक्रम बहर छै । शेरमे की छै ? बहरमे दू पाँति छै । Ghazal: FAQ दू पाँतिमे की छै ? पहिल मतला अंतिम मकता आ बीच बला आन शेर छै । मतलामे की छै ? मतलाक दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ छै । काफिया की छै ? काफिया तुकांत छै । रदीफ की छै ? कोनो पाँतिक अंतिम उभयनिष्ठ रदीफ छै । मकता की छै ? मकता गजलक अंतिम शेर छै जाहिमे लोक अपन नाम लीखै छै । इएह गजल छै । (आशीष अनचिन्हार)