लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण
इजोरियामे उगल छै चान जहिना
अहाँकें चेहरा पर चमकै मुस्कान तहिना
निखरल चेहरा तै पर गदरल जवानी
देखि बदरी बरसै अमृत सन पानी
चारु दिशामे अहींकें बखान ये
साउनमे हरिअर छै धान जहिना
अहाँकें चेहरा पर..........
सिनेहक नजरिसँ हमरा दिस तकलौं
छन भरिमे हमर हृदयमे बसलौं
दुनियाँ भऽ गेलै बहुते हरान ये
पान संग सोहाइत छै मखान जहिना
अहाँकें चेहरा पर..........
अहाँकें चेहरा पर चमकै मुस्कान तहिना
निखरल चेहरा तै पर गदरल जवानी
देखि बदरी बरसै अमृत सन पानी
चारु दिशामे अहींकें बखान ये
साउनमे हरिअर छै धान जहिना
अहाँकें चेहरा पर..........
सिनेहक नजरिसँ हमरा दिस तकलौं
छन भरिमे हमर हृदयमे बसलौं
दुनियाँ भऽ गेलै बहुते हरान ये
पान संग सोहाइत छै मखान जहिना
अहाँकें चेहरा पर..........
बहुत सुंदर शब्द संयोजन! बधाई
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